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शबरी के बेर लेखनी कविता -10-Jun-2024

आज दिनांक १० .६ २४ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति 
शबरी के बेर:
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अजब मिठास भर दी शबरी ने बेरों मे अपने प्यार की,
इतना प्यार और सम्मान पा  अभिभूत हुए श्री राम जी।

कितने वर्षों तक शवरी ने प्रतीक्षा की श्री राम की,
तब जा कर श्री राम कृपा से प्रकट हुए श्री राम जी।

धन्य धन्य भाग्य श्री राम का इतना प्यार सम्मान मिला,
एक अनजान नारी के दर्शन पाने का सौभाग्य मिला।

जैंसे माता अपने बच्चों का लाड़ सदा करती रहती,
वैसे ही शबरी थी जो दिन दिन गिन कर काटा करती।

कहते हैं जो दिल मे प्यार हो सच्चा तो मिलना होगा,
ईश्वर भी बन जायें सहायक न विछोह सहना होगा।

बेटे को मां से दूर कभी न क़ायनात मे कोई रख पाया,
जहां  खुद श्री राम सहायक प्रकृति को भी सहायक पाया।

भक्ति भावना , निश्छल प्रेम हो श्री राम स्वयं आ जाते हैं,
भक्तों के अपने पुकार सुन वो दौड़े चले आते हैं।

ऐंसी थीं शबरी माता वो सर्वत्र हैं पूजनीय,
अपने हाथों बेर खिला कर वो यश पाई हैं अकथनीय।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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1 Comments

Anjali korde

12-Jun-2024 09:16 AM

Amazing

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